हारी बाजी को जितना हमें आता है…..सोनू मागो

पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी भाजपा साबित नहीं कर पाई अविश्वास प्रस्ताव.

कलेक्टर से मिलकर गुप्त वोटिंग कराने की रणनीति काम कर गई.

भाजपा के 7 पार्षदों ने कांग्रेस निगम अध्यक्ष सोनू मागो के पक्ष में की वोटिंग.

2022 में नगर निगम चुनाव हुए थे तब कांग्रेस के 28 पार्षद और भाजपा के 20 पार्षद जीतकर आए थे और महापौर कांग्रेस के विक्रम अहंके बने थे.

2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर जाने वालों में नगर निगम महापौर विक्रम अहंके के साथ 14 पार्षद और सभापति शामिल थे.
जिससे भाजपा के पार्षदों की संख्या 20 से बढ़कर 34 हो गई थी.और कांग्रेस के पास सिर्फ 14 पार्षद बचे थे.
कुछ दिनों पूर्व भाजपा पार्षद दलों की बैठक हुई जिसमे निगम अध्यक्ष सोनू मागो को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने पर हस्ताक्षर किये गए और जिला कलेक्टर शिलेन्द्र सिंह को हस्ताक्षर युक्त पत्र सौपा गया.
जिसमें 8 अक्टूबर को निगम अध्यक्ष सोनू मागो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा इस पर निर्णय हुआ.
एक दिन पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे के नेतृत्व में निगम अध्यक्ष सोनू मागो सहित 14 पार्षद कलेक्टर शिलेन्द्र सिंह से मिले और उन्होंने नियमानुसार गुप्त वोटिंग की मांग रखी.और वह सफल भी हुए क्योंकि वह जानते थे कि भाजपा के पार्षदों का एक खेमा पार्टी से नाराज चल रहा है
जिसका समर्थन उन्हें मिलना तय था.जहां नगर निगम में भाजपा 34 पार्षदों के साथ परिषद में थी और कांग्रेस के पास सिर्फ 14 पार्षद थे उसके बावजूद भी निगम अध्यक्ष सोनू मागो के पक्ष में 21 वोट पड़े जिससे भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव सफल नहीं हो सका और अध्यक्ष पद पर फिर से सोनू मागो काबिज़ हो गए.

बहुमत के लिए चाहिए थे 32 वोट
भाजपा को मिले 27 वोट
निगम अध्यक्ष को मिले 21 वोट