देश की पहली त्रिमूर्ति जाम सावली में स्थित है जो विश्राम अवस्था में है ।
पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान त्रिमूर्ति की नाभि से आता है पवित्र जल।
छिंदवाड़ा जिले सौसर स्थित पवनसुत के प्रति आस्था व श्रद्धा भक्ति का केंद्र है जाम सांवली का हनुमान मंदिर ।
हनुमान जी पीपल के पेड़ के नीचे लेटी हुई विराजमान देश में एकमात्र विश्राम अवस्था की त्रिमूर्ति है ।
हनुमान जन्मोत्सव पर यहां आस्था का जन सैलाब उमड़ता है
आज यहां दो से तीन लाख भक्तों का पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है छिंदवाड़ा जिले के सौसर तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर नागपुर छिंदवाड़ा नेशनल हाईवे पर बजाज चौक से पांढुरना मार्ग पर 1 किलोमीटर की दूरी पर जाम सावली हनुमान मंदिर श्रद्धा का केंद्र है मंदिर ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष धीरज चौधरी बताते हैं कि हनुमान जी की त्रिमूर्ति पीपल के पेड़ के नीचे स्वयंभू प्रकट हुई है मूर्ति किसी ने स्थापित नहीं की है पेड़ कितना पुराना है मूर्ति कब प्रकट हुई इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन बुजुर्गों के अनुसार पीपल का पेड़ 150 वर्ष से अधिक पुराना है मंदिर में आने वाले भक्त त्रिमूर्ति के साथ पीपल के पेड़ की पूजा भी करते हैं उध्वमुखी है प्रतिमा पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान हनुमान जी की त्रिमूर्ति
उध्वमुखी है संपूर्ण भारत में इस तरह की उध्वमुखी मूर्ति कहीं और नहीं है भक्तों का मानना है कि हनुमान जी की त्रिमूर्ति पीपल के पेड़ के नीचे विराजमान होने से निष्ठा श्रद्धा व संपूर्ण आस्था के साथ मांगी गई मुराद यहां पूरी होती है
नाभि से निकलता है पवित्र जल मान्यता है कि यहां त्रिमूर्ति के नाभि से निकलने वाला जल असाध्य को बीमारियों ठीक करता है त्रिमूर्ति के नाभि से निकलने वाले पवित्र जल का स्थान पीपल के पेड़ के तने के निकट ही है वहां तो यह भी कहा जाता है कि त्रिमूर्ति के नाभि से निकलने वाला पवित्र जल पीपल के पेड़ के ताने से होकर ही आता है यह जल निरंतर अविरल त्रिमूर्ति के नाभि में एकत्रित होता रहता है इस जल को भक्त प्रसाद व दवा के रूप में स्वीकार करते हैं।