या फिर चलेगा नाथ का जादू

क्या भाजपा की गुटबाजी का मिलेगा नकुल को फायदा
भाजपा ने मप्र में अपने सभी 29 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।
अब देखना यह होगा कि मप्र की सबसे हॉट सीट पर भाजपा क्या रणनीति अपनाती है
2019 के लोकसभा चुनाव में मप्र से भाजपा ने 28 सीटों पर विजयी हासिल की थी*
जिसमें एक मात्र छिंदवाड़ा सीट जो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने जीती थी।
2019के चुनाव में*
मप्र सहित देश में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की थी।
छिंदवाड़ा एकमात्र ऐसी सीट थी जो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा की जो भाजपा मोदी लहर के बाद भी हार गई।
पिछले 5 सालों से ग्रहमंत्री अमित शाह सहित तमाम केंद्रीय मंत्री और भाजपा के बड़े -बड़े नेताओं का दौरा और सभाऐ छिंदवाड़ा में हुई।
और उन्होंने मोदी सरकार की कई योजनाओं का बखान भी किया।
पुर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर परिवार वाद के आरोप भी लगाए
बावजूद उसके छिंदवाड़ा की सातों विधानसभा सीट भाजपा हार गई।
जब 2023 के मप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा मोदी की गैरंटी का नारा लेकर मैदान में उतरी तो प्रदेश की 230 सीटों मे से 163 बम्फर जीत के साथ सत्ता में काबिज रही वही छिंदवाड़ा जिले में 7-0 से हार का सामना करना पड़ा।
क्या छिंदवाड़ा जिले में मोदी की गारेंटी का कोई भी असर नहीं पड़ता।
क्या भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व छिंदवाड़ा की जनता को सरकार की योजना और मोदी की गारेंटी का गिनाने में विफल रहा है।
या जिले में दिनों -दिन बढती गुटबाजी

पिछले पांच सालों की बात की जाए तो भाजपा में कई गुट बन गए जिससे भाजपा को नागरीय निकाय चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है
बढ़ती गुटबाजी के बीच विवेक बंटी साहू छिंदवाड़ा का किला केसे फतेह करते है।
कायम रहेगा 40 सालो का भरोसा।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक सभा में कह चुके है कि वह छिंदवाड़ा और छिंदवाड़ा की जनता को छोड़कर कही नही जा रहे वह आख़िर दम तक छिंदवाड़ा की जनता के साथ है।
पिछले 5 सालों में जिस तरह से प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व ने छिंदवाड़ा को टारगेट कर ताबड़तोड़ दौरे और सभाएं की है उस हिसाब से लग रहा था कि भाजपा कोई बड़े नाम को चुनावी मैदान में उतारेगी, और छिंदवाड़ा सीट जितने में एड़ी चोटी का जोर लगा देगी।लेकिन ऐसा क्या हुआ कि भाजपा के जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया गया है।
जबकि विवेक बंटी साहू एक बार उपचुनाव एवं दूसरी बार 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़े और दोनों ही बार उनको हार का सामना करना पड़ा
कमलनाथ और भाजपा में है साठ-गांठ।
कमलनाथ और भाजपा में साठ- गांठ करने के आरोप लगाते आ रहे हैं
भाजपा हमेशा चुनाव के पहले कमलनाथ के गढ़ को जीतने के लिए बड़े बड़े वादे और दावे करती है लेकिन चुनाव के वक्त
वरिष्ठ नेताओं के द्वारा छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने से इनकार कर देना इससे सांठ गांठ वाले आरोपों को बल मिलता है
बहरहाल अब चुनावी बिगुल बज गया ह छिंदवाड़ा की जनता किसे चुनती है यह देखना दिलचस्प होगा