मप्र में चौथे चरण की 8 सीटों पर मतदान कल।

क्या होगा अगर NOTA को मिल जाए सर्वाधिक वोट।

इंदौर,देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार,खरगोन और खंडवा लोकसभा सीटों के लिए मतदान होगा।

चौथे चरण के चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. दोनों पार्टियां के स्टार प्रचारकों ने ताबड़तोड़ प्रचार किया।

इंदौर लोकसभा सीट कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के मुकाबले से वापसी के बाद सुर्खियों में बनी हुई है, लेकिन मुख्य प्रतिद्वंदी हटने के बाद यहां चुनावी उत्साह खत्म होता नजर आ रहा है।
इंदौर लोकसभा क्षेत्र से सांसद शंकर लालवानी हैं ।1989 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है । लालवानी से पहले, इस सीट पर 1989 से लगातार रिकॉर्ड 8 बार भाजपा की सुमित्रा महाजन का कब्जा था, जो 2014 और 2019 के बीच लोकसभा अध्यक्ष भी थीं।

क्या होगा अगर NOTA को मिल जाए सर्वाधिक वोट, क्या वापस होंगे चुनाव,जानें क्‍या कहते हैं नियम।

इंदौर में कांग्रेस नोटा को लेकर अभियान चला रही है, हालांकि यदि नोटा को सर्वाधिक वोट मिल भी जाते हैं तो भी दोबारा चुनाव नहीं होंगे। इस स्थिति में जिस प्रत्‍याशी को सर्वाधिक वोट मिले हैं, उसे विजयी घोषित किया जाएगा।

इंदौर लोकसभा चुनाव में पिछले दिनों हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस ले लिया था, इतना ही नहीं वे भाजपा में भी शामिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव के मैदान से पूरी तरह बाहर हो गई और अब इंदौर की जनता से नोटा को अपना मत देने की अपील कर रही है। लिहाजा कांग्रेस नोटा के पक्ष में जोर-शोर से जुटी है। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या वाकई नोटा को मत देने पर इसका चुनाव पर असर पड़ेगा।
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक ऐतिहासिक फैसले ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प उपलब्ध करवाया। जिसके अनुसार यदि कोई मतदाता किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहता तो वह नोटा को अपना मत दे सकता है।
यदि किसी क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों के मुकाबले नोटा को अधिक वोट मिल जाते हैं तो नियम 64 के अनुसार जिस उम्मीदवार को सर्वाधिक वोट मिले हैं,उसे चुनाव आयोग विजयी घोषित करता है।