मप्र की 9 सीट और छग की 7 लोकसभा सीट पर होगी वोटिंग. प्रचार थमा
बहुचर्चित सीट विदिशा, गुना और राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में भी वोट डाले जाएंगे.
इसके अलावा, मुरैना, भिंड, ग्वालियर,सागर,भोपाल में भी इसी चरण में मतदान होगा.
विदिशा लोकसभा सीट की बात करें तो यह सीट बीजेपी-जनसंघ का गढ़ मानी जाती रही है. इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज नेता जीत हासिल कर चुके हैं. खुद शिवराज सिंह चौहान विदिशा सीट से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुषमा स्वराज तक मप्र की इस सीट से जीत चुके हैं बीजेपी के कई दिग्गज,अब शिवराज पर दांव.
33 साल बाद शिवराज और भानु प्रताप शर्मा में सामना, पहली लड़ाई में ‘मामा’ से हार चुके हैं विदिशा के भानु प्रताप.

कांग्रेस ने विदिशा लोकसभा सीट से भानु प्रताप शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. वह दो बार विदिशा से सांसद रह चुके हैं.शिवराज सिंह चौहान ने 1991 के लोकसभा चुनाव में इन्हें शिकस्त दी थी.शिवराज सिंह चौहान का यह पहला चुनाव था.
15 बार में दो बार मिली है कांग्रेस को जीत.
दरअसल, विदिशा संसदीय क्षेत्र मध्य प्रदेश के उन प्रमुख क्षेत्र में से है, जहां से कई दिग्गज निर्वाचित हुए हैं। इस क्षेत्र का पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, रामनाथ गोयनका और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी प्रतिनिधित्व किया है। यहां अब तक 15 चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस सिर्फ दो बार जीती है और दोनों ही बार यहां भानु प्रताप शर्मा निर्वाचित हुए हैं. एक बार फिर कांग्रेस ने शर्मा को उम्मीदवार बनाया है.

राजगढ़ संसदीय क्षेत्र प्रदेश के उन चुनिंदा चुनावी रणक्षेत्रों में बदल चुका जहां चुनावी मैच आखिरी ओवर की आखिरी गेंद तक खेला जा रहा है। मतदान होने में कुछ ही घंटों से कम का समय बचा हो लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट तौर पर नहीं कह पा रहा है कौन सी पार्टी मैच पर कब्जा बनाए हुए है।
बार के सांसद और वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर जहां ब्रांड मोदी के नाम और राम मंदिर सहित सरकार के बड़े कार्यों को सामने रखकर तीसरी जीत की आशीर्वाद मांग रहे हैं। वहीं दिग्विजय सिंह का जोर किला से जनता के दशकों पुराने संबंध और वर्तमान के स्थानीय मुद्दों पर हैं, जिन्हें हल करने का वादा कर वे अपने आखिरी चुनाव में साथ देने की अपील कर रहे हैं भाजपा ने अपने सांसद को तीसरी बाद टिकट देकर दो मार्च को राजगढ़ के चुनाव मैदान में उतार दिया था। तब से ही वह अपनी पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर प्रचार कर रहे हैं। तो दूसरी और दिग्विजय सिंह ने शुरुआत में चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताई थी लेकिन पार्टी का आदेश हुआ तो मैदान में कूद पड़े।
टिकट का एलान होने के साथ ही दिग्विजय ने लोकसभा क्षेत्र की आठों विधानसभा क्षेत्रों में 20-20 किमी की पद यात्रा करते हुए जर्बदस्त सक्रियता दिखाई तो जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास किया है। इसके बाद बारी जनता की है कि वे किसके नाम और काम को तवज्जो देती है।

गुना लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राजघराने से आते हैं इसलिए लोग उन्हें सम्मान से महाराज कहकर बुलाते हैं।
ग्वालियर-चंबल संभाग में पड़ने वाले गुना लोकसभा क्षेत्र में पिछले 37 साल से सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों के लोग ही चुनावी जीत हासिल करते रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से 2019 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के उम्मीदवार केपी यादव ने हरा दिया था। केपी यादव एक वक्त में ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही करीबी थे। मार्च, 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
कांग्रेस ने यहां से यादव समुदाय से आने वाले राव यादवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत का श्रेय यादव मतदाताओं की एकजुटता को दिया गया था।