क्या ? कांग्रेसी लगाएंगे बंटी की नैय्या पार.

कमलनाथ के गढ़ में
भाजपा को क्यों लेना पड़ रहा है कांग्रेसियों का सहारा.

छिंदवाड़ा: कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा को जीतने के लिए कांग्रेसियों को तोड़कर अपने खेमे में ला रही है. उससे ऐसा लग रहा है कि भाजपा एकजुट नहीं है और वह कांग्रेसियों के भरोसे जीत हासिल करना चाहती है

पिछले कुछ दिनों की बात की जाए तो छिंदवाड़ा जिले से पंच, सरपंच,जनपद सदस्य, नगर पालिका अध्यक्ष, निगम सभापति, प्रदेश महासचिव, प्रदेश प्रवक्ता,चौरई के पूर्व विधायक,समेत अमरवाड़ा से वर्तमान विधायक राजा कमलेश शाह भी पार्टी छोड भाजपा का दामन थामा है.इनके साथ हजारों कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है.

पिछले 44 वर्षों से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अभेद किले को भेदने के लिए भाजपा ने जो तोड़-फोड़ की नीति अपनाई है उससे क्या आम जनता को कोई फर्क पड़ने वाला है.

2019 के लोकसभा चुनाव मप्र की 29 सीटों में से भाजपा ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब मोदी की लोकप्रियता और मोदी की लहर के बावजूद एकमात्र सीट छिंदवाड़ा कांग्रेस ने जीती थीं.
वही 2023 के विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी पूरी प्रदेश में चली लेकिन छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने 7-0 से विजय हासिल की थी.

मंच पर आगे बैठने की होड़.

जिस तरह से वर्तमान भाजपा में जो चल रहा है उससे पुराने भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारीयो में कहीं ना कहीं एक असंतोष नजर आ रहा है.
जिले में भाजपा के हो रहे कार्यक्रमों में आए दिन यह देखने को मिल रहा है कि
कांग्रेस छोड़कर जो लोग भाजपा में शामिल हुए हैं. उनमें मंच पर आगे बैठने की होड़ लगी रहती है.
पुराने जो भाजपाई है वह उन्हें दो टूक कह देते हैं कि आप अभी पार्टी में नए आए हो पीछे जाकर बैठिए अभी आपकी जगह आगे नहीं है.

बहरहाल चुनावी बिगुल बज चुका है.19 अप्रैल को छिंदवाड़ा में मतदान होना है. प्रदेश सहित पूरे देश की निगाहें सबसे ज्यादा चर्चित और हॉट सीट छिंदवाड़ा पर टिकी हुई है.

मतदान करने अवश्य जाएं मतदान आपका अधिकार है.