मप्र के राज्यपाल मंगुभाई पटेल आज राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुये। उन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं उपाधि भेंट की । कार्यक्रम को संबोधित कर राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि शौर्य और पराक्रम की भूमि छिंदवाड़ा में स्थित राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल होकर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। उन्होंने गोंडवाना और महाकौशल के क्रांति सूर्य जनजातीय नायक राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह का पुण्य स्मरण करते हुए दीक्षित होने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी।
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयीन शिक्षा का स्वरूप शैक्षणिक संस्कारों को सेवा संस्कारों में बदलने, समाज और राष्ट्र सेवा के लिए देश की भावी पीढ़ी को संकल्पित कराना है। छात्र-छात्राओं की मौलिक प्रतिभा को उभार कर, उन्हें ज्ञान और कौशल से सम्पन्न बनाना विश्वविद्यालय के शिक्षकों का दायित्व है। उन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्र एवं समाज के विकास की चुनौतियों के समाधान के लिए सक्षम और समर्थ कर सामाजिक सरोकारों में सहभागिता प्रेरित करना चाहिए।
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय जनजातीय नायक-नायिकाओं की गौरव गाथाओं और मातृ भूमि के लिए हौसलों के साथ दुनिया की शक्तिशाली साम्राज्यवादी शक्ति को भयभीत करने के
प्रसंगों के बारे में विद्यार्थियों को बताया जाना जरुरी है। उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार के गुमनाम शहीदों, वीरों और वीरांगनाओं की स्मृति और बलिदान को पुनर्जीवित कर नई पीढ़ी से परिचित कराने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि राजा शंकरशाह के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय का यह परम कर्तव्य है कि वह गोंडवाना के राजा शंकरशाह और कुँवर रघुनाथ शाह जैसे अमर बलिदानियों के साहस, शौर्य और वीरता से हमारे युवा और बच्चों को परिचित कराए। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों को जनजातीय वीरों की वीर गाथाओं में केन्द्रित पुस्तकों को पढ़ने की बात कही । उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना कर राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह के जीवन और अपने माता-पिता और गुरुजनों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में कार्य करने की बात कही.